शुक्रवार, 1 मई 2015

आरक्षण के खेल का निकल रहा है तेल, धर्म बदलने पर भी आरक्षण मिलता है

छत्तीसगढ़ में धर्म परिवर्तन को लेकर मुहिम सा चल पड़ा है। एक समय यह आदिवासी बाहुल्य राज्य था। अब यहां की आबादी में ज्यादातर परिवर्तित धर्म के आदिवासी रह रहे हैं। यह खेल है उन तमाम आदिवासियों के साथ जो हिंदू धर्म अपनाए हुए हैं। चालाक धर्म परिवर्तन करने वाले आदिवासी दोहरा लाभ लेकर इन्हें चपत लगा रहे हैं। सूत्रों की माने तो धर्म परिवर्तन के लिए लाखों रुपए इन्हें मिलते हैं इसके साथ ही कई तरह के लाभ भी दूसरे धर्म के लोग देते हैं। वहीं हिंदू धर्म को मानने वाले आदिवासीयों को सही जानकारी नहीं होने के कारण बेचारों को उनके हक का लाभ तक नहीं मिल रहा है। वहीं दूसरे धर्म वाले तथाकथित आदिवासी (क्योंकि धर्म परिवर्तन करने के बाद उनकी आरक्षण खत्म हो जाती है) हिंदू धर्म के लोगों को मिलने वाले लाभ इसमें आरक्षण का लाभ भी ले रहे हैं। ये लोग शिक्षीत भी ज्यादा है क्योंकि दूसरे धर्म के लोग अपने स्कूलों में इन्हें नि:शुल्क पढ़ाकर शिक्षित कर रहे हैं। यह अजब का खेल है जिसे दूसरे धर्म के लोग खेल रहे हैं। खेल धर्म परिवर्तन का है। आरक्षण का है, आरक्षण से मिलने वाले लाभ से है। धर्म परिवर्तन के बाद क्या लाभ मिलना चाहिए यह बड़ा सवाल है। अगर नहीं तो फिर जशपुर, सरगुजा, बस्तर सहित कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां हर दिन धर्म परिवर्तन किया जा रहा है। घर वापसी के लिए कई दशक पहले जशपुर के राजकुमार दिलीप सिंह जुदेव ने मुहिम चलाया था। उस समय भी इस मामले को उठाया गया था। तब से अब तक सिर्फ राजनीति के कारण इस मामले को सही जगह नहीं मिल सका। मुद्दा है पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। बोट बैंक के राजनीति के कारण इस ओर ध्यान न देकर सही लाभ जिन्हें मिलनी चाहिए उनके हक को छीना जा रहा है। यह कैसी नीति है? समझ नहीं आता, यह कैसा खेल हो रहा है आदिवासीयों के साथ।