शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2015

आदिवासी शब्द को जाति विशेष न समझे हम सब आदिवासी है



आदिवासी का मतलब क्या है क्या यह आदिवासी Tribal जनजातीय का प्रायवाची है। अगर हां तो इसका सही अर्थ क्या है। क्योंकि मुझे किसी ने बताया कि छत्तीसगढ़ क्षेत्र आदिवासियों का क्षेत्र रहा है और यहां के ज्यादातर राजा आदिवासी है। कुछ लोगों का कहना है कि जनरल बिहार, उत्तर प्रदेश और दुसरे राज्य से आए है। दिमाग पर जोर डालिए जनरल मतलब क्या General सामान्य होता है मतलब आदिवासी भी सामान्य होता है। यहां दरअसल मुझे पूरा का पूरा हिंदू विवादित लगता है। क्योंकि हिंदू कोई धर्म नहीं है यह संस्कृति है। लोगों के बेवकूपाना हरकत के कारम हिंदू धर्म और आदिवासी एक विशेष जाति बन गई।  हिंदू संस्कृति सिंधू नदी के तट पर बसे होने के कारण बनी थी। जिस धर्म की बात किया जा रहा है वह सनातन धर्म है। इस धर्म के बारे में कोई चर्चा नहीं करना चाहता। सनातन शब्द भी सनातन काल से चली आ रही है। इसके लोग भी आदिकाल वाले ही है। अर्थात वे भी आदिवासी है। इसमें चार जातियां थी जिन्हें वर्तमान में जनरल, ओबीसी, एससी और एसटी समझया गया है। सनातक काल में इन चार जातियों को कर्म के आधार पर ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र के रूप में विभाजित किया गया था। जानकार बताते हैं कि कर्म के आधार पर उस समय जातियों का विभाजन किया गया था। बाद में यह कर्म ही सभी जातियों का दुष्कर्म कर रही है। कर्म के आधार ने जातियों को निराधार कर दिया। जो शुद्र थे वे कब आदिवासी बन गए पता ही नहीं चला। आदिवासी शब्द का शाब्दिक अर्थ मूल निवासी से है था और रहेगा। साथ ही भारत देश के मूल निवासी यही चारो जातियां थी अर्थात ये आदिवासी हैं। देश में मुस्लीम भी आदिवासी हो गए हैं क्योंकि कई सौ साल पहले 1400 ई. के आसपास मुस्लीम देश में आए। इस दौरान कई सदी बीत गई इसलिए मुस्लिम भी आदिवासी हो गए हैं। साथ ही बात अगर ईसाई धर्म की की जाए तो यह भी आदिवासी काल में है क्योंकि 1600 ई. में यह धर्म भारत में पहुंचा। लगभग 4 सौ सालों से यह धर्म भारत में है। गणना करने से पहले समझना होगा। देश पुरे आदिवासियों का है। कुछ लोग आदिकाल का मतलब भी नहीं जानते और बहस में कुद जाते हैं। चड्‌डी का नाड़ा बांधने नहीं आता पजामा पहनने की बात करते हैं। आदिवासी का मतलब समझो राजनिती करना है तो मां.....।

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